श्री राम जनमभूमि आयोध्या में बसे प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर की दर्शन यात्रा| दशहरा विशेष | 4K|दर्शन🙏
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श्री राम जनमभूमि आयोध्या में बसे प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर की दर्शन यात्रा| दशहरा विशेष | 4K|दर्शन🙏 |
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भक्तों नमस्कार! हमारे यात्रा कार्यक्रम दर्शन में आपका हार्दिक अभिनन्दन है भक्तों भगवान श्रीराम का भजन-कीर्तन, कथा-प्रवचन और चर्चा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक उसमें भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी का नाम शामिल नहीं होता है। ऐसे में भगवान श्रीराम की नगरी आयोध्या, हनुमान जी के मंदिर बिना कैसे हो सकती है? यों तो आयोध्या में एक से बढ़कर एक मंदिर हैं लेकिन यहां एक ऐसा मंदिर है जिसे भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद अपने परम भक्त हनुमान जी को रहने के लिए दिया था। इस मंदिर का दर्शन किए बिना रामलला के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। इस मंदिर का नाम है हनुमानगढ़ी.
मंदिर के बारे में:
भक्तों हनुमानगढ़ी भगवान राम के परम भक्त श्री हनुमान जी का काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर अयोध्या नगर के बीचो बीच स्थित है। इस मंदिर को लेकर भक्तों की मान्यता है कि हनुमान जी यहां हर समय एक कोतवाल की भांति अपने भक्तों की रक्षा हेतु इस धाम में विराजमान हैं। हनुमान जी का ये मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। क्योंकि राम जी ने जब हनुमान जी को ये मंदिर दिया था तब उन्होंने कहा था कि हमारे जो भी भक्त अयोध्या आएंगे तो वो मुझसे पहले हमारे भक्त हनुमान जी का दर्शन करेंगे। इस परंपरा के अनुसार- अयोध्या आनेवाले श्रद्धालु सर्वप्रथम हनुमागढ़ी में विराजमान हनुमान जी के दर्शन करते हैं।
हनुमानगढ़ी का इतिहास:
भक्तों पौराणिक कथाओं के अनुसार- अयोध्या का हनुमानगढ़ी त्रेता युग से विद्यमान है। लेकिन इस मंदिर के निर्माण संबंधी निश्चित प्रमाण उपलब्ध न होने के कारण यह कहना असंभव है कि इस मंदिर का निर्माण कब और किसके द्वारा करवाया गया। लेकिन कुछ पुरातत्व विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह मंदिर 10 वीं शताब्दी में बनवाया गया होगा।
76 सीढ़ियाँ देती हैं अभय का वरदान:
भक्तों हनुमानगढ़ी में मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को वहाँ स्थित 76 सीढ़ियों का रास्ता तय करना होता है। कहा जाता है कि यह सीढ़ियाँ उन्हें बजरंग बली के माध्यम से श्री राम के शरण में ले जाती हैं। इन सीढ़ियों को चढ़ते समय यदि कोई भक्त हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ कर लेता है तो उसके जीवन की तमाम मुश्किलें पवनसुत हनुमान हर लेते हैं। सर्व भय मुक्त कर आजीवन शक्तिसम्पन्न रहने का वरदान देते हैं। मान्यता है कि यहाँ आने के बाद हनुमान जी भक्तों के साथ उनके घर तक जाते हैं और अपने आश्रय की छाया प्रदान करते हैं।
शीर्ष मंदिरों में है हनुमानगढ़ी:
भक्तों हनुमानगढ़ी मंदिर बजरंग बली के उन शीर्ष मंदिरों में से एक है जहाँ आज भी हनुमान जी की उपस्थिती का आभास होता है। तेज आँधियों और घनघोर बारिश होने के बाद भी इस मंदिर का दीपक टिमटिमाता रहता है। जो इस बात का प्रमाण है कि आरती के समय पवनसुत हनुमान जी स्वयं मंदिर में उपस्थित होते हैं।
दानदाताओं का नाम उल्लेख:
भक्तों हनुमान गढ़ी के लिए जिन दानदाताओं ने अपना योगदान दिया है, हनुमान गढ़ी दीवार और फर्श पर उन सभी दानदाताओं के नाम तथा उनकी विस्तृत जानकारी का उल्लेख किया गया है।
पहले हनुमानगढ़ी का दर्शन क्यों:
भक्तों प्रचलित कथा के अनुसार- त्रेता युग में लंका-विजय के पश्चात जब पवनसुत हनुमान जी, श्री राम जी के साथ अयोध्या लौटे तो उस समय हनुमान जी ने भगवान श्री राम से प्रार्थना की कि हे प्रभु, अब आप भी हमारे साथ यहीं रहें। प्रभु श्री राम जी ने तब हनुमान जी से कहा कि हे हनुमान चिंता मत करो, इस अयोध्या नगरी में आने वाले भक्त को तब तक उसके दर्शन का प्रतिफल नहीं मिलेगा जब तक वह हनुमानगढ़ी से होकर हमारे पास नहीं आयेगा। हनुमान जी भगवान श्री राम जी की यह बात सुनते ही उनके चरणों में लोट गये। क्योंकि श्री राम ने अपने परम भक्त को अपने से ऊँची पदवी दे दी थी। उसी समय से यह परंपरा बन गयी कि अयोध्या आने पर प्रसिद्ध श्री राम मंदिर के दर्शन के पूर्व भक्तगण सरयू नदी में स्नान के उपरांत पहले हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करते हैं तत्पश्चात श्री राम मंदिर को जाते हैं।
कलियुग का राजा हनुमान जी:
भक्तों कहा जाता है कि जी जब भगवान् श्री राम धरा धाम में अपना कार्यकाल पूर्ण कर सरयू नदी के गुप्तार घाट पर गुप्त होने लगे तो हनुमान जी प्रभु के साथ जाने के लिए भाव विह्वल हो गए। तब प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को कलियुग का राजा बनाते हुए, उन्हें अपने प्रतिनिधि के रूप में धराधाम पर ही विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करने का आदेश दिया। इसीलिए कलियुग में हनुमान जी की आराधना सतत फलदाई है। हनुमान जी कि भक्ति से इहलोक और परलोक दोनों संवरते हैं।
चोला चढ़ाने पर कष्टों से मुक्ति:
भक्तों मान्यता है कि यदि कोई भी भक्त हनुमान गढ़ी मंदिर में विराजमान हनुमान जी को लाल सिंदूर का चोला चढ़ाता है तो उसे सभी दोषों पापों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यहां पर मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की मूर्ति लगी हुई है।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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