Video Discription |
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपके जीवन को बहुत सी चीज़ें जटिल बना रही हैं। सद्गुरु एक प्रश्न के उत्तर में बता रहे हैं कि कैसे हम अपने जीवन की व्यवस्था को सरल बना सकते हैं।
English video: https://youtu.be/mEIgRg5PrdM
एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी, सद्गुरु एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद के मार्ग में दीक्षित किया गया है।
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Transcript:
Teaser - शिक्षित होने से पहले, शादी करने से पहले, बच्चे पैदा करने से पहले वे कैसे थे, और आज वे कैसे हो गए हैं। वे ऐसे हो गए हैं। आप दूसरों जैसी व्यवस्थाएं करने की कोशिश मत कीजिए, जिन्हें आप संभाल ही न पाएं।
प्रश्न – सद्गुरु, इंसानी शरीर में इतने कण, अणु और परमाणु हैं,
जिनकी संख्या कल्पना से परे है। और मन खुद भी बहुत जटिल है।
इन दो जटिल साधनों के साथ, किसी से सरल जीवन जीने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
सद्गुरु – ये इस पर निर्भर करता है कि आप सरल जीवन किसे समझते हैं। अगर आपको लगता है कि अनाड़ी बनकर जीना, एक सरल जीवन है, तो मैं उसकी सलाह नहीं देता। लेकिन सरल जीवन का आम तौर पर मतलब होता था कि आप अपने जीवन में जो व्यवस्थाएं करते हैं, वो सरल हैं।
ताकि वे आपको उलझाएँ न, सिर्फ आपकी मदद करें। हम अपने जीवन जो भी व्यवस्थाएं करते हैं, उनका उद्देश्य हमारे जीवन को बेहतर बनाना है। है न?
आप शिक्षित क्यों हुए? क्योंकि आपको लगता है इससे आपका जीवन बेहतर बनेगा। कोई शादी क्यों करता है? क्योंकि उन्हें लगता है उससे जीवन बेहतर बनेगा। लोग बच्चे क्यों पैदा करते हैं या व्यापार क्यों करते हैं? क्योंकि उन्हें लगता है इससे जीवन बेहतर बनेगा।
लेकिन लोगों के चेहरे देखिए, शिक्षित होने से पहले, शादी से पहले, बच्चे होने से पहले वे कैसे थे। और आज कैसे हो गए हैं। क्या ऐसा लगता है जीवन बेहतर हुआ है? हेल्लो। वे ऐसे बन गए हैं।
तो स्पष्ट है कि उन्होंने इतनी सारी व्यवस्थाएं की जिन्हें वे संभाल नहीं पाए। उन्होंने अपने संभाल पाने की क्षमता से ज्यादा व्यवस्थाएं कर लीं। है कि नहीं? उन्होंने इस जागरूकता से व्यवस्थाएं नहीं कीं, कि मेरी जरूरतें क्या हैं। उनकी समस्या ये है कि वो हर दिन शौपिंग करती हैं। तो मुझे भी शौपिंग करनी है। मुझे नहीं पता कि खरीदना क्या है, लेकिन कुछ खरीद लूंगी। क्योंकि मेरी पड़ोसी भी शौपिंग कर रही है। क्योंकि वे इस स्थिति में हैं, वैसे तो जीवन के अंत में सामान आगे भिजवाने की कोई सेवा नहीं है, पर ज्यादातर घर गोदाम बन गए हैं।
ज्यादातर लोगों के घरों में ऐसी चीज़ें हैं, जिनका इस्तेमाल एक या दो सालों से नहीं हुआ, पर वे रखी हुई हैं।
वे ये चीज़ें किसीको दे नहीं सकते, लेकिन इनसे उनका जीवन इतना अस्तव्यस्त हो गया है, कि वे घर में चलते हुए.. इन चीजों से टकराते रहते हैं, क्योंकि उनका घर बनाना, ये सभी चीज़ें खरीदना, रिश्ते बनाना... जीवन को बेहतर बनाने के लिए नहीं था। वे हर चीज़ का इस्तेमाल अपने जीवन को उलझाने के लिए कर रहे हैं।
तो सरल जीवन का मतलब है आप उलझे हुए नहीं हैं। ये बहुत ज़रूरी है। आप बेहतर हैं पर उलझे हुए नहीं हैं। आप व्यवस्थाएं बिलकुल कीजिए, लेकिन ऐसी व्यवस्थाएं जिन्हें आप संभाल सकें। है न? आप दूसरों जैसी व्यवस्थाएं करने की कोशिश मत कीजिए, जिन्हें आप संभाल ही न पाएं।
आप ऐसी व्यवस्था क्यों करते हैं, जिसकी आपको जरुरत नहीं है? अगर आप ऐसी व्यवस्थाएं करेंगे, तो ये व्यवस्थाएं उलझन बन जाएंगी। तो आपके लिए कौन सी व्यवस्था सबसे अच्छी है, आप वो व्यवस्था कीजिए। यही सरल जीवन है।
सरल जीवन का मतलब ये नहीं है कि आप अनाड़ी हैं, ठीक है? आप जीवन को ऐसा बनाते हैं, कि किसी भी पल आप जहां चाहें जा सकें और जो चाहे कर सकें। एक मकड़ी जाल इसलिए बुनती है, ताकि उसमें अन्य चीज़ें फंस जाएं। लेकिन अगर आप ऐसी मकड़ी हैं, जो अपने जाल में खुद ही फंस जाए, तो आप मूर्ख मकड़ी हैं, है न?
और ज्यादातर इंसान इसी स्थिति में हैं। तो सरलता का मतलब है, एक समझदारी भरी व्यवस्था जो आपको उलझाए न। आप ऐसी व्यवस्था बनाएं, कि [अगर आपकी दिशा...] अगर आप इस दिशा में जा रहे हों, और वहाँ कोई बहुत महत्वपूर्ण चीज़ होती है, तो आप उस दिशा में जा सकें। आपकी व्यवस्थाएं आपका जाल न बनें। यही सरल जीवन है। ये बुद्धिमान जीवन है। |