द्रौपदी ने दुर्योधन का अपमान कैसे किया था? |
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द्रौपदी ने दुर्योधन का अपमान कैसे किया था? | |
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This Video Uploaded At 25-10-2022 14:28:58 |
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Duryodhan is unhappy about the prosperity of the Pandavs, Shakuni consoles him and later loses in game of dice to Yudishthir. Duryodhan walks around Yudhishthir's 'Maya Mahal" and falls into one of the pools. Draupadi calls him the "blind son of a blind father." Duryodhan, Kama and Shakuni plan to avenge Draupadi for her taunting remarks. Shakuni suggests that Yudhishthir be invited to Hastinapur for a game of dice.
Mahabharat is an Indian television series based on the Hindu epic.
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श्री कृष्ण रुक्मिणी को बताते हैं की कौरवों ने पाण्डवों से सब कुछ छीनने के लिए और उनसे बदला लेने के उद्देश्य से उनके साथ द्यूत का खेल खेलने के लिए बुलाता है और कैसे पांडवों और जिसमें वो एक एक करके हारते जाते हैं। युधिष्ठिर दुर्योधन के साथ चौसर खेलता है जिसमें शकुनि दुर्योधन के जगह पासे फेंकता है और एक एक करके युधिष्ठिर हारता जाता है। विदुर बार बार इस द्यूत क्रीड़ा को रोकने के लिए कहता है लेकिन द्यूतक्रीड़ा नहीं रुकता और युधिष्ठिर अपनी सारी सेना सब कुछ हार जाते हैं। युधिष्ठिर अपने इंद्रप्रस्थ को भी हार जाता है। जब युधिष्ठिर सब हार जाता है तो शकुनि युधिष्ठिर को अपने भाई दाव पर लगाने के लिए कहता है और यदि युधिष्ठिर इस दाव को जित जाता है तो दुर्योधन युधिष्ठिर का जीता सब लौटने की बात करता है। विदुर राजा धृतराष्ट्र को द्यूत क्रीड़ा को रोकने के लिए कहता है। युधिष्ठिर एक एक करके अपने चारों भाइयों को दाव पर लगाता है और सभी दुर्योधन से हार जाता है और आख़िर में खुद को भी दाव में हार जाता है और पांडव उनके दस बन कर रह जाते हैं। लेकिन द्यूत क्रीड़ा नहीं रुकती और जब शकुनि द्रौपदी को दाव पर लगाने के लिए कहता है। युधिष्ठिर शकुनि की बातों में आ जाता है और द्रौपदी को भी दाव पर लगा देता है। शकुनि युधिष्ठिर को इस चाल में भी हरा देता है और द्रौपदी को भी जित जाता है। दुर्योधन अपने प्रतिहारी को द्रौपदी को अपने सामने बुलाता है। द्रौपदी को प्रतिहारी आकर दुर्योधन का आदेश सुनाता है और बताता है की द्यूत में जीती जा चुकी हैं और बताता है की युधिष्ठिर ने अपने चारों भाइयों सहित खुद को भी दाव पर लगा दिया और हार गए हैं। द्रौपदी प्रतिहारी की बात सुन बहुत दुःखी होती है और प्रतिहारी को दुर्योधन के सामने आने से मना कर देती है। दुर्योधन अपने भाई दुशासन को द्रौपदी को सभा में लाने के लिए भेजता है।
दुशासन द्रौपदी को बाल से पकड़ कर सभा में लेकर आता है। द्रौपदी का अपमान देख भीम क्रोधित हो उठता है। दुर्योधन भीम दास होने का पाठ पढ़ाने के लिए द्रौपदी का अपनी गोद में बैठने के लिए कहता है । भीम क्रोधित हो कर उठता है और प्रतिज्ञा लेता है की जिस जाँघ पर दुर्योधन ने द्रौपदी को बैठने की बात की है वह उसे अपनी गदा से तोड़ देगा और दुशासन के हाथों को उखाड़ कर उसके रक्त से द्रौपदी के केश धोएगा। भीम अपनी प्रतिज्ञा लेता है और दुर्योधन उसे अपना दास बताते हुए बैठा देता है। दुर्योधन दुशासन को द्रौपदी का चिर हरण करने का आदेश देता है । द्रौपदी वहाँ बैठे सभी लोगों से अपनी रक्षा की भीख माँगती है द्रौपदी पितामह भीष्म, विदुर, कुल गुरु और द्रोणाचार्य से अपनी रक्षा की गुहार लगती है लेकिन कोई भी कुछ नहीं करता और अंत में द्रौपदी राजा धृतराष्ट्र के सामने हो रहे इस दुष्कर्मों को चुप चाप बैठे देख रहे हैं। द्रौपदी की बातें सुन कर सिर्फ़ दुर्योधन का भाई विकर्ण ही था जिसने इस अधर्म पर आवाज़ उठाता है। विकर्ण इस अधर्म का भागी ना बनते हुए सभा को त्याग देता है। दुर्योधन दुशासन को द्रौपदी का चीर हरण करने का आदेश देता है । द्रौपदी अपनी रक्षा के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना करती है। श्री कृष्ण द्रौपदी की रक्षा के लिए उसकी वस्त्र की लम्बाई बढ़ते जाते हैं। दुशासन साड़ी को खिचता रहता है और खिंचते खिंचते थक कर बेहोश हो जाता है। सभी लोग श्री कृष्ण की लीला देख आगे बड़ कर बोलने लगते हैं। धृतराष्ट्र कौरवों के आने वाले बारे वक्त को देख कहता है की मैं पांडवों को उनका हरा सब कुछ लौटता हूँ। तब दुर्योधन ने इस बर सवाल उठाए और दुबारा सभा में बहस शुरू हो जाती है।श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता, पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण, महाभारत, भागवत पुराण, भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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