Video Discription |
History Documentary of #Prayagraj (#Allahabad) in 4K | #प्रयागराज (इलाहाबाद) का इतिहास |
यह वीडियो सिर्फ #इलाहाबाद या #प्रयागराज के विषय में नहीं है अपितु आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे।
#आर्य कौन थे?
प्रयाग व इलाहाबाद शब्द का अर्थ क्या है?
आर्यों का प्रयाग से क्या संबंध था?
अकबर ने संगम पर ही किले का निर्माण क्यों किया?
क्या आज भी सरस्वती नदी मौजूद हैं?
#हिन्दू धर्म कहाँ से जन्मा?
संस्कृत भाषा के जनक कौन हैं?
भारत सोने की चिड़िया कैसे बना?
भारत में इतनी अधिक जातिय विविधता क्यों हैं?
राम, कृष्ण व गौतम बुद्ध ये सभी ईश्वर थे या मानव?
भारत में पहाड़, समुद्र व नदियों के किनारे इतने अधिक मंदिर क्यों है?
हिन्दू धर्म में अलग-अलग जाति वर्ग का निर्माण क्यों हुआ?
मुद्रा सिद्धान्त का जन्म क्यों हुआ?
राजतंत्र की स्थापना कैसे हुई?
ऐसे ही अनेक प्रश्नों के उत्तर आपको इस वीडियो में मिलेंगे।
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इस वीडियो में हम आज के प्रयागराज से प्राचीन प्रयाग तक की यात्रा करेंगे। कुछ विशेषज्ञों, कई प्राचीन पुस्तकों एवं इंटरनेट पर कई दिनों की तपस्या के पश्चात इस वीडियो को अस्तित्व देना संभव हो सका।
गंगा, यमुना एवं सरस्वती इन तीन नदियों का दुर्लभ संगम है प्रयाग। जिसका अर्थ है यज्ञ की पवित्र भूमि।
यहां हर वर्ष माघ मेला, तीसरे एवं छठवें वर्ष अर्ध कुंभ एवं प्रत्येक 12 वर्ष पर महाकुंभ का आयोजन होता है जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए यहां पहुंचते हैं।
प्रयागराज वह भूमि है जिसने हमेशा महान व्यक्तित्वों को प्रकाशित किया।
जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह, मदन मोहन मालवीय, महर्षि महेश योगी, धर्मवीर भारती, ध्यान चंद, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, हरिवंश राय बच्चन, अमिताभ बच्चन आदि अनेक नाम है जिनके ऊपर अलग से एक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया जा सकता है।
आज जो प्रयागराज हम अपनी आंखों से देखते हैं उसको ऐसा बनने में हजारों वर्ष लगे हैं। इस बदलाव में सबसे अधिक योगदान रहा अंग्रेजों और मुगलों का।
पुराना यमुना पुल, गंगा पुल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कंपनी गार्डन, इलाहाबाद संग्रहालय, ऑल सेंट कैथेड्रल, उच्च न्यायालय, प्रयागराज स्टेशन आदि निर्माण अंग्रेजों के शासन काल में किया गया। संगम क्षेत्र में स्थित विशाल किला अकबर द्वारा एवं खुसरो बाग को अकबर के पुत्र जहांगीर ने अपने पुत्र खुसरो के नाम पर बनवाया था।
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि सरस्वती नदी का अस्तित्व प्रयाग की इस भूमि पर कभी था ही नहीं। लेकिन जल पुरुष कहे जाने वाले समाज शेखर जी जैसे कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं हैं। पूरे भारतवर्ष में सरस्वती के नाम से कई नदियों का वर्णन प्राप्त होता है। आज जिस सरस्वती को हम त्रिवेणी संगम से लुप्त हुआ मानते हैं वास्तव में उनका मार्ग एवं नाम परिवर्तित हो चुका है। अब जन भाषा में स्थानीय लोग इसे ससुर खदेरी नदी कहते हैं।
आज यह नदी इलाहाबाद संगम से 10 किलोमीटर दूर करेल बाग से थोड़ा आगे सामिया माता मंदिर के निकट यमुना नदी में आकर समाहित होती है।
किंतु अकबर इस भूमि से इतना प्रभावित क्यों था? ऐसा माना जाता है कि अपनी यात्रा के दौरान अकबर ने भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर हजारों वर्ष पूर्व महान आर्य प्रजाति की कई हतप्रभ कर देने वाली घटनाओं के बारे में सुना था। आर्यों के बारे में जानने की जिज्ञासा इतनी अधिक बढ़ गई कि उसने हिंदू धर्म के सभी वेद पुराणों आदि का गहन अध्ययन किया। जब उसे पता चला की आर्यों ने अपना प्रथम यज्ञ इस भूमि पर किया था। तभी से उसने ये ठान लिया था कि इसी पवित्र भूमि पर अपना एक नया शहर बसाएगा।
तो आखिर ये आर्य थे कौन? इनसे अकबर इतना प्रभावित क्यों हुआ?
इस प्रश्न के समाधान में ही आपको रामायण, महाभारत, वेद, पुराण आदि को लेकर जो भी तार्किक प्रश्न मन में उठते हैं उन सभी के उत्तर प्राप्त होंगे।
प्राचीन काल में भारत को आर्यवर्त कहा जाता था। क्योंकि हिंदू धर्म के मूल संस्थापक आर्य भारत के अलग-अलग भागों में वास करते थे। अपने कौशल एवं ज्ञान से जिन्होंने भारत को विश्व गुरु के रूप में विख्यात किया।
तीन नदियों के इस दुर्लभ संगम पर आर्यों ने प्रथम यज्ञ करके एक नई सामाजिक विधा का प्रारम्भ किया।
पूरे भारतवर्ष में नदियों के किनारे, पहाड़ों के ऊपर आदि सुदूर जगहों पर जहां भी यह गए इनके गुण व कौशलों से प्रभावित होकर वहां रहने वाले लोगों ने इन्हें भगवान स्वरूप माना। अपने समाज को इनके जैसा बनने के लिए प्रेरित करने हेतु इन्हीं के नाम से वहां पर मंदिरों की स्थापना भी की।
आर्य प्रजाति अन्य जातियों से कई कौशलों में निपुण थी।
ये वीर, साहसी, ईमानदार, सुंदर, धनुर्विद्या, भाषा आदि में श्रेष्ठ थे। देखा जाए तो संस्कृत भाषा आर्यों के द्वारा ही विकसित की गई। इनके पास वह कला थी जिससे
इस वीडियो को पूरा देखकर अपनी राय अवश्य दें।
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इस वीडियो को बनाया और एडिट किया गया है ब्रेन्स नेत्र लैब में
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