Middle Class. | भारत का सॉफ्ट पावर: मध्यम वर्ग उपेक्षित क्यों? @USATODAY @pmoindia
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Middle Class. | भारत का सॉफ्ट पावर: मध्यम वर्ग उपेक्षित क्यों? @USATODAY @pmoindia |
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6 दिसंबर 2011 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक भाषण में आर्थिक विकास में मध्य वर्ग की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा था, “एक कमजोर मध्य वर्ग पूरे देश के आर्थिक विकास को बाधित करता है। मजबूत विकास के लिए सशक्त मध्य वर्ग जरूरी है। जब कंपनियों के उत्पाद और सेवाओं को खरीदने में मध्यवर्गीय परिवारों की क्षमता घटने लगती है, तो अर्थव्यवस्था में ऊपर से नीचे तक सब कुछ गिरने लगता है। असमानता हमारे लोकतंत्र को विकृत करती है क्योंकि इससे वे चुनिंदा लोग ही अपनी आवाज उठा पाते हैं जिनके पास लॉबिंग और प्रचार के लिए पैसा होता है।
आज यहां हम मध्यम वर्ग को विकास के संदर्भ में विश्लेषित करेंगे।
मिडिल क्लास की परिभाषा क्या है
उसे जनसंख्या और प्रति व्यक्ति वार्षिक आय के पैरामीटर पर कैसे समझा जाएगा इस पर बहुत सारी पाठ्य सामग्री पब्लिक डोमेन पर पहले से ही मौजूद है
इस लिए इस पर चर्चा करना जरुरी नहीं।
कार्ल मार्क्स से प्रभावित साहित्यकारों एवं विचारकों की अवधारणा जो भी कुछ हो, उसे समकालीन भारतीय और वैश्विक परिस्थिति का कोई लेना देना नहीं।
बदलते परिवेश में मध्य वर्ग के प्रति सकारात्मक विचार विमर्श की आवश्यकता है।
दावा यह किया जा रहा है कि साल 2047 भारत मिडिल क्लास की आबादी 100 करोड़ से भी अधिक हो सकती है। बराक ओबामा ने कहा है कि अमेरिका में मध्यम वर्ग के संख्यात्मक रूप से कम होने के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव की ओर इशारा किया है
इससे उलट मध्य वर्ग की आबादी बढ़ने से भारतीय अर्थ तंत्र आमूल चूल परिवर्तन की नज़र आएगा। मध्य वर्ग की संख्यात्मक वृद्धि से टैक्स की परिधि में संख्यात्मक एवं गुणात्मक वृद्धि भी होगी
विश्व के मध्यवर्ग की विशेषता है कि
वह सामान्य रूप से आत्मनिर्भरता पर निर्भर करता है। उसे अपने अस्तित्व की रक्षा करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक संघर्ष करना होता है
इतना ही नहीं वह सरकारी कर व्यवस्था के प्रति ईमानदार होता है। अपवादों को छोड़ दिया जाए तो यह कहना गलत न होगा कि
इनकम टैक्स भी पूरी ईमानदारी के साथ चुकाता है।
अपनी संस्थान अथवा व्यवस्था से मध्यम वर्ग को गहरा लगाव होता है ।
मध्य वर्ग जहां एक ओर पूंजी पति संस्थाओं के लिए आक्सीजन है वहीं दूसरी ओर निम्न वर्ग के लिए तुरंत मिलने वाला शैल्टर भी हो जाता है।
गरीब व्यक्तियों परिवारों के लिए फाइलों के सहारे प्राप्त होने वाली सुविधा एवं सहायता से पूर्व ही मध्य वर्ग की सहायता उस गरीब परिवार तक सबसे पहले पहुंचती है।
परंतु बाजार में मूल्य वृद्धि की अनिश्चितताओं भरी स्थिति के कारण मध्यम वर्ग व्यथित भी होता है।
कुल मिलाकर यह कहना चाहता हूं कि -" मध्यवर्ग पारिवारिक अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कीमतों में अत्यधिक उतार चढ़ाव के कारण अपने मासिक और वार्षिक बजट में स्थिरता नहीं ला पाता ।"
पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी जी ने अमेरिका के मेडिसिन स्कवॉयर में अपनी भाषण में कहा था कि हम निजी सेक्टर के साथ-साथ व्यक्तिगत सेक्टर होगी संरक्षित करेंगे।
इसका संकेत यह माना जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने आर्थिक परिपेक्ष्य में मध्यम वर्ग के सॉफ्ट पावर का एम्पॉवरमेंट की कोशिश करने का संकेत दिया था।
किसी भी देश की इकोनॉमी का आंतरिक पक्ष तभी चमकदार हो सकता जब उसे देश का मध्यम वर्ग मजबूत होता है
सवाल यह है कि भारत के संदर्भ में देखा जाए तो भारत का मध्यम वर्ग क्रमशः अपनी योग्यता कार्य कुशलता और संघर्ष शीलता के कारण भारत के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण स्थान दर्ज कर लिया है।
वर्ष 2013 में मध्यम वर्ग की औसत आमदनी 4.4 लाख रुपए वार्षिक थी
लेकिन वर्तमान में यह आय बढ़कर 13 लाख से अधिक हो चुकी है।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के रिसर्च से पता चलता है कि 2047 तक भारतीयों की आमदनी 49.9 लाख रुपए सालाना हो जाएगी।
2021 तक माध्यम वर्ग 432 मिलियन भारतीयों का समूह था जो जनसंख्या का लगभग 31% है
वर्ष 2005 में जनसंख्या के सापेक्ष 14% लोग मध्य वर्ग में थे।
उपरोक्त आंकड़ों से पता चलता है कि
मध्य वर्ग का आकार बढ़ रहा है।
भारत में सबसे निम्न मध्यम वर्ग को औसत दैनिक आय 17 अमेरिकी डॉलर तथा उच्च मध्य वर्ग की 100 अमेरिकी डॉलर महत्वपूर्ण आंकड़ा है
औसत रूप से प्रत्येक मध्य वर्गी परिवार के पास कम से कम ₹8 लाख की संपत्ति अवश्य होती है।
देखने में यह स्थिति बेहद आकर्षक और हैप्पीनेस इंडेक्स को ऊपर प्रदर्शित करने वाली लग रही है। परंतु भारत में प्राइस इंडेक्स में निरंतर परिवर्तन से मध्य वर्ग द्वारा कैपिटल जेनरेशन करने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है।
मध्य वर्ग की दूसरी कठिनाई है आयकर जो उसे पूंजी निर्माण के लिए सबसे बड़ी बाधा बनकर तैयार है।
मध्यमवर्ग के पास चिकित्सा और शिक्षा पर असीमित खर्च की समस्या भी चिंता का विषय है।
अगर मौलिक जरूरतों जैसे चिकित्सा शिक्षा को ध्यान में रखा जाए तो सामान्य मध्य वर्गी व्यक्ति को परिवार में आकस्मिक बीमारियों के इलाज के लिए कर्ज यह पारिवारिक सहायता की आवश्यकता महसूस होती है।चिकित्सा के लिए सरकार ने LIG तबके के लिए योजना कर रखी है लेकिन आर्थिक रूप से मध्यम स्तर की आबादी को किसी भी प्रकार का सपोर्ट नहीं है। सामान्य बीमा कंपनियां अभी बहुत अच्छी हेल्थ पॉलिसी लेकर नहीं आई है। मध्यम वर्ग को हेल्थ बीमा पॉलिसी के विरुद्ध अधिकतम 50 से 60% तक का रीइंबर्समेंट मिल पाता है ।
परंतु दूसरा पहलू यह भी है कि मध्यमवर्गीय परिवार शो ऑफ करने में पीछे नहीं होते। उनके वैवाहिक एवं रिचुअल्स के आयोजनों पर होने वाले खर्च करने की प्रवृत्ति का फायदा बाजार बाकायदा उठा रहा है।
मध्यमवर्ग को अगर अपना पारिवारिक अर्थ तंत्र मजबूत रखना है तो यह जरूरी है कि उसे अपने अनावश्यक खर्चो को सीमित कर देना चाहिए।
उसकी यह बचत राष्ट्रीय बचत में शामिल होगी। जो स्वयं मध्य वर्गी एवं राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण होती है। |
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